धान की किस्म कावेरी 468 की पूरी जानकारी
हमने धान की कई किस्में देखी हैं। कुछ किस्में कम समय पर कर तैयार हो जाती हैं तो कुछ किस्मों को पकने में ज्यादा समय लगता है। ऐसी ही धान की एक किस्म कावेरी 468 है जो बहुत ही कम समय में पककर तैयार हो जाती है। धान की इस किस्म की खास बात यह है कि, इस किस्म को किसान रबी और खरीफ दोनों मौसम में बो सकता है। इस केस में पानी के अधिक मात्र की आवश्यकता नहीं होती, जिससे किसान पानी की उपलब्धता कम होने के बावजूद भी इस धान का उत्पादन कर सकता है। धान की एक किस्म रोग प्रतिरोधी भी है। यह कम समय में पक जाने के कारण इसमें हल्दी रोग काफी कम लगता है।
ये भी देखें: तर वत्तर सीधी बिजाई धान : भूजल-पर्यावरण संरक्षण व खेती लागत बचत का वरदान (Direct paddy plantation)
कावेरी 468 की खासियत :
धान की यह किस्म कम दिन में पक कर तैयार हो जाती है। जिससे किसानों को खेत में दूसरी फसलें जैसे सब्जियां, सरसों आदि बोने का समय मिल जाता है। इसके माध्यम से किसान और अधिक मुनाफा कमाते हैं। इस किस्म की खास बात यह है कि आप धान की इस किस्म की बुवाई रबी और खरीफ दोनों के मौसम में कर सकते हैं। रबी के मौसम की बात करें तो आप इसकी बुवाई सितंबर से अक्टूबर में और खरीफ के मौसम की बात करें तो आप इसकी बुआई मई और जून में कर सकते हैं। आपने देखा होगा कि अगर किसान किसी फसल की बुवाई करने मैं विलंब कर देते हैं तो उन्हें उस फसल में काफी नुकसान हो जाता है फसल का उत्पादन भी काफी कम होता है। लेकिन धान की यह किस्म इन सभी समस्याओं को देखते हुए बनाई गई है। अगर आप इस किस्म की बुवाई में विलंब कर देते हैं तो भी आपको कोई नुकसान नहीं होगा।ये भी पढ़े: पूसा बासमती 1692 : कम से कम समय में धान की फसल का उत्पादन
हमारे द्वारा अधिकांश रूप से देखा जाता है कि जब तेज हवाएं चलती हैं तो धान के पौधे गिर जाते हैं लेकिन इस किस्म के पौधे काफी हद तक तेज हवाओं का सामना कर सकते हैं। इस किसी के दाने लंबे मोटे और चमकदार होते हैं जो कि धान की इस किस्म को खास बनाता है। इसके पौधों की बालियां लंबी और मोटी होती हैं।
कावेरी 468 की तैयारी :
यह खरीफ और रबी दोनों की फसल है। रवि के मौसम में आप इसकी बुवाई सितंबर और अक्टूबर में इसके अलावा खरीफ के मौसम में आप इसकी बुवाई मई और जून में कर सकते हैं अगर आप किसी कारणवश इसकी बुवाई जुलाई में भी करते हैं तो भी आपको अच्छा उत्पादन देखने को मिलता है।ये भी पढ़े: धान की लोकप्रिय किस्म पूसा-1509 : कम समय और कम पानी में अधिक पैदावार : किसान होंगे मालामाल
धान की यह किस्म 115 से 120 दिन में पक कर तैयार हो जाती है। इस फसल के पौधे की लंबाई 105 से 110 सेंटीमीटर होती है। इसमें 15 से 20 कर ले निकल आते हैं और दाने लंबे मोटे और चमकदार होते हैं। जिसके माध्यम से किसान धान की इस किस्म से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। इसके अलावा अगर हम इस किस्म के उत्पादन की बात करें, इस किस्म का उत्पादन 30 से 35 क्विंटल प्रति एकड़ होता है। और अगर आप इसकी बुवाई सूखा क्षेत्र में करते हैं तो आपको समान रूप से 25 से 28 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन देखने को मिल सकता है। इसका दाना काफी वजनदार होता है जो हमारे किसान भाइयों के लिए काफी लाभदायक होता है। इससे किसान धान की फसल में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
ये भी पढ़े: धान की फसल काटने के उपकरण, छोटे औजार से लेकर बड़ी मशीन तक की जानकारी
इसके अलावा अगर हम खेतों में बीज दर की बात करें तो 4 से 5 किलो बीज प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है। धान की फसल मौसम के प्रति ज्यादा प्रभावशाली नहीं होती है अर्थात अगर ज्यादा पानी बरसे चाहे ज्यादा पानी ना बरसे फिर भी इस फसल के उत्पादन में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। धान की इस केस में इतनी खूबियां होने के बावजूद भी कुछ खामियां भी हैं। कई बार धान का अंकुरण सही नहीं होता है, ऐसे में किसान भाइयों को तुरंत बीज विक्रेता और कंपनी में सूचित कर शिकायत दर्ज करानी चाहिए, ताकि समय रहते उचित समाधान जैसे पैसे वापस या बदले में सही बीज मिल जाएँ। धान की यह किस्म किसानों की पहली पसंद बनी हुई है क्योंकि यह किस्म कम पानी और कम मिट्टी में भी अच्छा उत्पादन देती है। इन सभी विशेषताओं को देखते हुए धान की यह किस्म किसानों की पहली पसंद बनी हुई है।